pashupalan loan देश के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए पशुपालन आय का बड़ा स्रोत उभरकर सामने आया है. बड़ी संख्या में किसान छोटी-मोटी डेयरी खोल अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. सरकार भी इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार गौवंशीय पशुओं की नस्ल सुधार व दुग्ध उत्पादकता में वृद्धि के लिए नन्द बाबा मिशन के तहत नन्दिनी कृषक समृद्धि योजना चला रही है.
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इस योजना के तहत सरकार 25 दुधारू गायों की 35 इकाइयां स्थापित करने के लिए गायों की खरीद से लेकर उनके संरक्षण एवं भरण पोषण जैसे मदों में सब्सिडी देगी. यह सब्सिडी किसानों को 3 चरणों में दी जाएगी. शुरुआती चरण में यह योजना अयोध्या, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर, झांसी, मेरठ, आगरा और बरेली में लागू की जाएगी.
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तीन चरणों में दिया जाएगा योजना का लाभ
pashupalan loan दुग्ध आयुक्त और मिशन निदेशक शशि भूषण लाल सुशील ने बताया कि प्रदेश दुग्ध उत्पादन में देश में पहले स्थान पर है. हालांकि जबकि प्रदेश में प्रति पशु दुग्ध उत्पादकता कम है. इसकी मुख्य वजह प्रदेश में उच्च गुणवत्तायुक्त दुधारू पशुओं की कमी होना है. इसी कमी को पूरा करने एवं उन्नत नस्ल के अधिक से अधिक दुधारू गौवंश की इकाइयों की स्थापना के लिए नन्दिनी कृषक समृद्धि योजना की शुरुआत की गई है. योजना के तहत दुधारू गायों में साहीवाल, गिर, थारपारकर और गंगातीरी प्रजाति की गायों को ही शामिल किया गया है.
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pashupalan loan योगी सरकार ने योजना के तहत 25 दुधारू गायों की एक इकाई स्थापित करने में 62, 50,000 रुपये के खर्च का आंकलन किया है. ऐसे में योगी सरकार लाभार्थी को कुल व्यय पर 50 प्रतिशत अनुदान यानी अधिकतम 31,25,000 रुपये देगी. योगी सरकार इस योजना का लाभ तीन चरणों में देगी. पहले चरण में इकाई के निर्माण पर परियोजना लागत का 25 प्रतिशत का अनुदान दिया जाएगा. वहीं दूसरे चरण में 25 दुधारू गायों की खरीद, उनके 3 वर्ष के बीमा और यातायात पर परियोजना लागत का 12.5 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा. जबकि तीसरे चरण में परियोजना लागत की शेष 12.5 प्रतिशत राशि का अनुदान दिया जाएगा.
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अधिक आवेदन आने पर ई-लॉटरी से लाभार्थी का किया जाएगा चयन pashupalan loan
योजना का लाभ लेने के लिए लाभार्थी के पास कम से कम 3 वर्षों का गौपालन का अनुभव होना चाहिये. वहीं, गौवंशों की ईयर टैंगिंग होना अनिवार्य है. इसके साथ ही इकाई की स्थापना के लिए किसान के पास 0.5 एकड़ भूमि होना आवश्यक है. साथ ही लाभार्थी के पास लगभग 1.5 एकड़ भूमि हरित चारा के लिए होनी चाहिए.
यह जमीन उसकी खुद की (पैतृक) हो सकती है या फिर उसने उसे 7 वर्षों के लिए लीज पर लिया हो. इस योजना का लाभ पूर्व में संचालित कामधेनु, मिनी कामधेनु एवं माइक्रो कामधेनु योजना के लाभार्थी नहीं उठा सकेंगे. लाभार्थी का चयन ऑनलाइन और ऑफलाइन आवेदन के माध्यम से किया जाएगा. वहीं, आवेदन की संख्या अधिक होने पर मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा ई-लॉटरी के जरिये चयन किया जाएगा.
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